बीसीजी ग्रुप ने 2047 तक 930 लाख करोड़ रुपये के बीमा क्षेत्र की भविष्यवाणी की है।

भारत का बीमा उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और भविष्य में इस क्षेत्र में और भी ज्यादा वृद्धि की संभावना है। बीसीजी ग्रुप (Boston Consulting Group) और इंडिया इंश्योरटेक द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत को 2047 तक “विकसित भारत” (Viksit Bharat) का लक्ष्य प्राप्त करना है, तो भारतीय बीमा उद्योग को प्रति वर्ष 12-13% की दर से बढ़ना होगा।

इस रिपोर्ट के अनुसार, बीमा उद्योग की संपत्ति (AUM) 2047 तक 11 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 930 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है। 2023 के मार्च तक बीमा उद्योग के पास 70 लाख करोड़ रुपये का AUM था, जो इस क्षेत्र के विशाल विकास की ओर इशारा करता है।

इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि रिपोर्ट में भारतीय बीमा उद्योग की वृद्धि के लिए क्या संभावनाएँ हैं, और साथ ही बीमा क्षेत्र के सामने आने वाली कुछ चुनौतियाँ भी जानेंगे।

भारत में बीमा उद्योग की वृद्धि के प्रमुख कारण

भारत में बीमा उद्योग की वृद्धि के लिए कई कारक मददगार साबित हो सकते हैं।

1. बीमा पेनिट्रेशन का बढ़ता अवसर

रिपोर्ट के अनुसार, जीवन बीमा की पेनिट्रेशन (penetration) वर्तमान में केवल 2.8% है, जबकि गैर-जीवन बीमा (non-life insurance) की पेनिट्रेशन 1% ही है। इसका मतलब यह है कि भारत में बीमा का व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जा रहा है, और यहां इस क्षेत्र में विकास की विशाल संभावनाएँ हैं। इसी तरह, स्वास्थ्य बीमा की पेनिट्रेशन भी बहुत कम, यानी केवल 0.31% है। यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य बीमा का उपयोग बढ़ने के साथ ही इस क्षेत्र में भी बड़ी वृद्धि की संभावना है।

2. कार्यशील आयु वर्ग और जीवन प्रत्याशा का बढ़ना

भारत की कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या 2047 तक बढ़कर 112 करोड़ हो जाएगी। इसके साथ ही, 2047 तक भारत में जीवन प्रत्याशा (life expectancy) बढ़कर 84 वर्ष हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि लोगों का जीवनकाल बढ़ेगा, जिससे स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा की मांग भी बढ़ेगी।

बीसीजी ग्रुप ने 2047 तक 930 लाख करोड़ रुपये के बीमा क्षेत्र की भविष्यवाणी की है।

3. औसत घरेलू आय में वृद्धि

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2030 तक भारत में औसत घरेलू आय 7.32 लाख रुपये हो जाएगी। उच्च आय वाले वर्ग के लोग बीमा उत्पादों में अधिक निवेश करने के लिए तैयार होंगे, जो बीमा क्षेत्र के लिए फायदेमंद हो सकता है।

4. डिजिटल पहल और सरकारी योजनाएँ

भारत सरकार की आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी पहल, जो 58.8 करोड़ स्वास्थ्य खातों, 36 करोड़ स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स, और 3 लाख स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का डेटा प्रदान कर चुकी है, से बीमा क्षेत्र को लाभ होगा। इसके अलावा, बीमा क्षेत्र के बेहतर वितरण के लिए बीमा सुगम (Bima Sugam) और बीमा वाहक (Bima Vahak) जैसी डिजिटल पहलों से बीमा उत्पादों की पहुंच और उपलब्धता में सुधार होगा।

बीमा उद्योग के विकास में चुनौतियाँ

जहां भारतीय बीमा उद्योग के पास वृद्धि के लिए विशाल अवसर हैं, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिनका सामना करना पड़ सकता है।

1. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमान वितरण

वर्तमान में, भारत के प्रमुख शहरों (Tier 1 Cities) जैसे दिल्ली, मुंबई, और बंगलुरू में 65% बीमा प्रीमियम का योगदान है। इसका मतलब है कि बीमा उत्पादों का वितरण अभी भी सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में बीमा की पहुँच बहुत कम है। बीमा उद्योग को Tier 2 और Tier 3 शहरों में अपनी पहुंच बढ़ानी होगी ताकि पूरे देश में बीमा उत्पादों का समुचित वितरण हो सके।

2. ग्रुप इंश्योरेंस का पिछड़ना

भारत में ग्रुप इंश्योरेंस (Group Insurance) की स्थिति भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों से काफी पीछे है। दुनिया भर में छोटी कंपनियों (200 कर्मचारियों से कम वाली कंपनियों) में ग्रुप इंश्योरेंस की पेनिट्रेशन 70% तक है, जबकि भारत में यह केवल 25% है। इसके अलावा, समूह बीमा उत्पादों की जागरूकता और उपलब्धता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि अधिक कंपनियाँ इसे अपनाएं।

3. तकनीकी चुनौतियाँ और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन

बीमा क्षेत्र में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की आवश्यकता है। हालांकि कुछ डिजिटल पहलें शुरू हो चुकी हैं, लेकिन बीमा कंपनियों को अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और डेटा सुरक्षा प्रणालियों में सुधार करना होगा ताकि वे अपने ग्राहकों की उम्मीदों को पूरा कर सकें।

निष्कर्ष

बीसीजी ग्रुप और इंडिया इंश्योरटेक की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बीमा उद्योग को अगले कुछ दशकों में तेजी से वृद्धि करने की आवश्यकता है ताकि यह 2047 तक 11 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (930 लाख करोड़ रुपये) का एयूएम हासिल कर सके। हालांकि, इसके लिए बीमा कंपनियों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ानी होगी, साथ ही ग्रुप इंश्योरेंस की पेनिट्रेशन और डिजिटल पहलों को बढ़ावा देना होगा।

यह समय है जब बीमा कंपनियों को तकनीकी विकास और वितरण रणनीतियों को सही दिशा में बढ़ाकर भारतीय बीमा उद्योग को और अधिक प्रगति की ओर अग्रसर करना चाहिए। अगर इन अवसरों का सही तरीके से लाभ उठाया जाता है, तो भारतीय बीमा क्षेत्र निश्चित रूप से एक नई ऊँचाई तक पहुँच सकता है।


FAQs

1. भारत में बीमा उद्योग का भविष्य कैसा दिखता है?

भारत में बीमा उद्योग का भविष्य उज्जवल है, क्योंकि जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और गैर-जीवन बीमा जैसे क्षेत्रों में वृद्धि की बड़ी संभावनाएँ हैं।

2. भारत में बीमा पेनिट्रेशन की स्थिति क्या है?

वर्तमान में जीवन बीमा की पेनिट्रेशन 2.8% और स्वास्थ्य बीमा की पेनिट्रेशन 0.31% है, जो इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है।

3. बीमा उद्योग को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

बीमा उद्योग को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमान वितरण, ग्रुप इंश्योरेंस की कम पेनिट्रेशन, और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

4. बीसीजी ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, 2047 तक भारतीय बीमा उद्योग की स्थिति क्या होगी?

बीसीजी ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बीमा उद्योग का एयूएम 2047 तक 11 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है, अगर उद्योग 12-13% वार्षिक वृद्धि दर से बढ़े।

5. भारत में बीमा के लिए कौन सी डिजिटल पहलों की शुरुआत की गई है?

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, बीमा सुगम और बीमा वाहक जैसी डिजिटल पहलों ने बीमा वितरण में सुधार और ग्राहकों तक पहुँच बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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